अपने गांव की पहली पुलिस अधिकारी बनी हेमलता, भाइयों ने कंधे पर बिठाकर घुमाया पूरा गांव
सपनों की उड़ान पाने के लिए कुछ लोग संघर्ष की सारी हदों को पार कर जाते हैं और इन दिनों कुछ ऐसी ही सपनों की उड़ान देखने को मिली है राजस्थान की एक बिटिया की जिनका नाम है हेमलता। हेमलता जाखड़ राजस्थान के बाड़मेर जिले में रहने वाली है जिन्होंने 8 वर्ष की उम्र में ही यह सपना देखा था कि वह पुलिस की वर्दी पहनेगी। हालांकि जिस गांव में उनका जन्म हुआ था वहां से इस मुकाम पर पहुंचना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें उस तरह की शिक्षा प्रदान नहीं की थी। सिर्फ यही नहीं महज 17 वर्ष की उम्र में हेमलता की शादी भी हो गई जिसके बाद आइए आपको बताते हैं ससुराल पक्ष में जाकर भी हेमलता ने कैसे अपने सपनों की उड़ान के साथ कोई समझौता नहीं किया।
शादी के महज 4 साल के बाद हेमलता बन गई मां
राजस्थान के बाड़मेर की रहने वाली बिटिया हेमलता की कहानी इन दिनों लोगों को खूब प्रोत्साहित कर रही है। दरअसल हेमलता जाखड़ की शादी उनके माता-पिता ने सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में ही कर दी। कम उम्र में शादी होने के बाद हेमलता सिर्फ 4 साल में ही मां भी बन गई जिसके बाद ऐसा लगने लगा था जैसे हेमलता अपने सपनों की उड़ान को पूरा नहीं कर पाएगी। हालांकि हेमलता ने यहां पर भी हार नहीं मानी और वह लगातार अपने सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई करती रही। हालांकि इस दौरान उन्हें घर और ससुराल पक्ष से लगातार ताने सुनने को मिल रहे थे लेकिन आइए आपको बताते हैं कैसे 18 साल के लंबे परिश्रम के बाद उन्होंने अपने सपने को प्राप्त कर लिया जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार था।
हेमलता ने सिर्फ 8 वर्ष की उम्र में ही यह सपना देखा था कि वह वर्दी पहन कर अपने भारत देश की सेवा करेगी। उनका यह सपना उम्र के 26वें पड़ाव में पूरा हुआ जब वह एसआई की नौकरी पर तैनात हुई। वर्दी पहनकर जैसे ही हेमलता अपने गांव में आई तब उन्हें देखकर उनके भाई फूले नहीं समाए और तुरंत ही उन्होंने अपनी बहन को कंधे पर उठाकर पूरे गांव में घुमाया। हेमलता अपने गांव की पहली ऐसी बिटिया बनी है जिन्होंने पुलिस की वर्दी पहनने का गौरव प्राप्त किया है। अपनी बिटिया के अथक परिश्रम को देखकर माता-पिता की आंखों में भी आंसू आ गए वहीं इस मौके पर हेमलता ने अपने पति का शुक्रिया किया जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ निभाया। आज हेमलता के इंस्पेक्टर बनने के बाद अब गांव की दूसरी बेटियों को भी पढ़ने का प्रोत्साहन मिल रहा है।