RJ18-Logo
गरीबी से निकलकर क्रिकेट की दुनिया का बादशाह बने इरफान पठान, आज परिवार के साथ जी रहे है आलीशान जिंदगी…-banner
Neeru Shekhawat Author photo BY: NEERU SHEKHAWAT 1K | 0 | 1 year ago

गरीबी से निकलकर क्रिकेट की दुनिया का बादशाह बने इरफान पठान, आज परिवार के साथ जी रहे है आलीशान जिंदगी…

गरीबी से निकलकर क्रिकेट की दुनिया का बादशाह बने इरफान पठान, आज परिवार के साथ जी रहे है आलीशान जिंदगी…

इरफ़ान पठान क्रिकेट की दुनिया के सबसे नामो में से एक में एते है , इनकी तेज़ गेंदबाज़ी सबसे अलग थी ,लंबा कद, शानदार एक्शन, तेज रफ़्तार ऊपर से खब्बू गेंदबाज़ किसी भी बल्लेबाज के लिए खेलना मुश्किल था. जिसकी स्विंग होती गेंद विकेट को चूमते हुए बल्लेबाज़ों को पवेलियन का रास्ता दिखा देती. हम बात कर रहे ‘स्विंग के किंग’ कहे जाने वाले इरफान पठान की. जिन्होंने अपनी घातक गेंदबाजी से भारत को कई मैच जिताए.


जिनके शुरूआती दौर में पाकिस्तान के क्रिकेटर रहे जावेद मियांदाद ने कहा था कि इरफान जैसे गेंदबाज़ पाकिस्तान की गली-गली में खेलते हैं. हालांकि, उनके इसी बयान के बाद मार्च 2004 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मुकाबले में इरफान ने 3 मैच में 8 विकेट हासिल किए थे. उन्होंने अपने प्रदर्शन से जावेद को करार जवाब दिया था.

फिलहाल, एक गेंदबाज़ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले इरफान बाद में एक बेहतरीन ऑलराउंडर के तौर पर क्रिकेट जगत में अपनी पहचान बनाई. उनके क्रिकेट करियर में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद हम इरफान पठान को कमेंट्री करते हुए देख सकते हैं.

वहीं इरफान एक दिग्गज क्रिकेटर होने के साथ ही नेक दिल इंसान हैं. वो अक्सर अपने बड़े भाई युसूफ़ पठान के साथ कई बार लोगों की मदद करते हुए देखे जाते हैं. फिर वो कोरोना महामारी हो, या गुजरात में आए बाढ़ के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की मदद हो.कोरोना संकट में ही उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी के एक मोची दोस्त की आर्थिक मदद कर इंसानियत की मिसाल पेश की थी. फिर जिस शख्स का बचपन ही गरीबी और मुफलिसी में गुजरा हो. वह दूसरों की परेशानियों को अच्छी तरह समझ सकता है

कभी क्रिकेट किट खरीदने तक के पैसे नहीं थे
भारत के लिए सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज इरफान पठान का जन्म 27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के बड़ौदा में एक गरीब परिवार में हुआ. इनके पिता महमूद पठान मस्जिद में मुअज्ज़िन का कार्य करते थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में इरफान का बचपना गुजरा.

गरीब माता-पिता अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर एक इस्लामिक इस्कॉलर बनाना चाहते थे. लेकिन, इरफान ने अपनी दुनिया कहीं और ढूंढ ली थी. उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था. पहले परिवार से छुप-छुपाकर क्रिकेट खेलने जाते. बाद में जब परिजनों ने अपने काबिल बच्चे की क्रिकेट के लिए उसकी लगन और मेहनत देखी तो मना नहीं कर सके.


गरीब पिता ने फिर बेटे के लिए जो बन आया वह किया. इरफान भी अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर करने लगे. लगातार 6-6 घंटे तक चिलचिलाती धूप में उन्होंने जमकर पसीना बहाया. उनके जुनून के सामने गरीबी भी रुकावट नहीं बन सकी. इरफान बता चुके हैं कि उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वे और उनके भाई युसूफ नए क्रिकेट किट खरीद सके.


इसके लिए उन्होंने सालों सेकेंड हैंड क्रिकेट किट का इस्तेमाल किया. लेकिन उनके हाथ में नई गेंद बल्लेबाजों के लिए घातक रूप ले लेती थी. तब उन्हें भी शायद नहीं पता रहा होगा कि भविष्य में यह स्विंग होती नई गेंद इतिहास में दर्ज हो जाएगी.

फिर हाथ से छूटी स्विंग गेंद इतिहास में हुई दर्ज 
फिलहाल, इरफान पठान को पूर्व भारतीय कप्तान दत्ता गायकवाड़ ने ट्रेनिग दी. तप कर निकले इरफान छोटी उम्र में ही बड़ौदा टीम से प्रथम श्रेणी मैच में खेलना शुरू कर दिया. वो गेंदबाजी के साथ साथ बल्लेबाजी भी कर लेते थे. इरफ़ान ने 13 साल की छोटी उम्र में जूनियर क्रिकेट में अपने कदम जमाया.

Tags bollywood entertainment filmy jagat
Share