गौशाला में बैठकर पशुओं की देखभाल करते हुए पढ़ती थी, पहले ही प्रयास में बनीं जज….
गौशाला में पढ़ाई करने वाले दूधवाले की बेटी सोनल शर्मा राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) परीक्षा 2018 में अपने पहले प्रयास में जज बन गई है।
बोलते है की कोई काम छोटा नहीं होता ,और लक्ष के पीछे भागते रहना चाइये एक दिन सफलता जरूर मिलती है आज की कहानी ऐसी ही है ,एक दूध बेचने वाले के लड़की कैसे बानी जज ,और गौशाला में करती थी अपने एग्जाम की तयारी..
26 वर्षीय सोनल ने बीए, एलएलबी और एलएलएम में गोल्ड पदक प्राप्त किए हैं। एक साल के प्रशिक्षण के बाद वह राजस्थान की सत्र अदालत में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट बनेगी।
दूधवाले ख्याली लाल शर्मा के चार बच्चों में से दूसरी सोनल, अपने दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे करती है। वह मवेशियों को दूध निकाले, गाय शेड की सफाई, गोबर इकट्ठा करने और दूध बांटने में अपने पिता की मदद करती है।
आरजेएस 2018 के परिणाम नवंबर 2019 में घोषित किए गए थे। हालांकि, सोनल को वेटिंग लिस्ट में रखा गया था। जब कुछ चयनित उम्मीदवारों ने ड्यूटी ज्वाइंन नहीं की तो राज्य सरकार ने बुधवार को एक आदेश जारी कर वेटिंग लिस्ट वाले उम्मीदवारों को ज्वाइंन करने के लिए कहा।
सोनल के मेंटर सत्येंद्र सिंह सांखला ने बताया, “हम सोनल के चयन को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन सामान्य कटऑफ सूची में वह सिर्फ एक अंक पीछे थे था और उसे वेटिंग लिस्ट में रखा गया था।”
जब सोनल को पता चला कि सात उम्मीदवार जो चयनित हुए, लेकिन उन्होंने ज्वाइंन नहीं किया तो उन्होंने सितंबर में राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। खाली होने वाली सात सीटों में से एक में सोनल को ज्वाइंन करने का आदेश हाई कोर्ट की तरफ से जारी किया गया।
सोनल ने कभी कोचिंग या ट्यूशन नहीं लिया। वह लाइब्रेरी में घंटों बिताने के लिए जल्दी कॉलेज जाती थी, क्योंकि वह महंगी किताबें नहीं खरीद सकती थी।
सोनल ने कहा, “मेरे माता-पिता ने हमें सबसे अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत की है। मेरे पिता ने हमें शिक्षित करने में खर्चों को पूरा करने के लिए कई ऋण लिए। कभी भी शिकायत नहीं की। अब मैं उन्हें एक आरामदायक जीवन दे सकता हूं।”
उसकी स्टडी टेबल गौशाला के एक कोने पर रखे खाली तेल के डिब्बे से बनी थी। उसने कहा, “ज्यादातर समय मेरी चप्पल में गाय का गोबर ला रहा थी।
जब मैं स्कूल में थी तो मुझे अपने सहयोगियों को यह बताने में शर्म महसूस होती थी कि मैं एक दूधवाले के परिवार से थी। लेकिन अब, मुझे अपने माता-पिता पर गर्व महसूस होता है।”