करोडों के मालिक होने के बाद भी नाना पाटेकर जीते हैं साधारण जीवन, तस्वीरें जीत लेगी आपका दिल
बॉलीवुड में अभी भी कई ऐसे कलाकार है जो बेहिसाब पैसा होने के बावजूद भी बहुत ही साधारण जिंदगी जीते हैं. दोस्तों आज हम उन्ही कलाकारों की बात करने वाले है. जैसा की आप सब जानते ही है की फिल्म जगत के बहुत से कॉमेडी रोल करने वाले नाना पाटेकर बहुत ही सिंपल जिंदगी जीते है.
आपको बता दे की बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकारों में से एक नाना पाटेकर आज किसी परिचय के मोहताज नही है. उनके द्वारा किए मूवी में फैन्स को बहुत ही मजा आता है. जैसा की आप सब जानते ही होंगे की नाना पाटेकर अब बहुत ही कम फिल्मो में दिखाई देते है. या कहे तो नाना पाटेकर अब फिल्मो में दिखाई नही देते है.
अब आप यह भी जान ले की बॉलीवुड के बहुत ही बेहतरीन अभिनेता नाना पाटेकर का पूरा नाम विश्वनाथ “नाना” पाटेकर है जिन्हें अधिकतर लोग नाना पाटेकर ने नाम से जानते है. सबसे खास बात यह है की नाना पाटेकर एक अभिनेता ही नही बल्कि लेखक और फिल्म निर्माता भी हैं.
बताते चले की नाना पाटेकर हिंदी फिल्मो के अपने प्रदर्शन के कारण लोगो के दिलों पर राज करते है. खास बात यह है की नाना पाटेकर को कई बार पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका है. बता दे की नाना पाटेकर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है.
नाना पाटेकर का कहा हुआ जन्म
नाना (Nana Patekar) का जन्म मुरूड-जंजीरा, रायगढ़, महाराष्ट्र (Maharashtra) में हुआ था। उनके पिता का नाम दिनकर पाटेकर और मां का नाम संजनाबाई पाटेकर है। विश्वनाथ नाना पाटेकर जन्म 1 जनवरी, 1951 हिन्दी एवं मराठी फ़िल्मों (Marathi Films) के एक अभिनेता (Actor) हैं। नाना पाटेकर भारतीय फिल्मों के अभिनेता हैं। वे लेखक और फिल्म निर्माता भी हैं।
नाना हिन्दी फिल्मों के मशहूर अभिनेता माने जाते हैं। उनके अभिनय के सभी दीवाने हैं और यही कारण है कि उन्हें आज तक कई बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्हें पद्मश्री सम्मान भी मिल चुका है। वे इंडस्ट्री में अपने डॉयलाग को बोलने की स्टाइल को लेकर काफी फेमस हैं। उनके अभिनय के दीवाने हर कोई। नाना की पढ़ाई सर जे जे इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाईड आर्ट, मुंबई से हुई थी।
कितनी संपति के मालिक है
नाना पाटेकर के पास पुणे के नजदीक खड़कवासला में 25 एकड़ में फैला शानदार फॉर्महाउस (Nana Patekar Farmhouse Near Pune) है। शहर की चकाचौंध से दूर नाना को जब भी आराम करना होता है तो वो यहीं जाते हैं। डायरेक्टर संगीत सिवान की 2008 में आई फिल्म ‘एक द पावर ऑफ वन’ की शूटिंग भी नाना के इसी फॉर्महाउस में हुई थी। यहां तक कि नाना अपने इस फॉर्महाउस के आसपास धान, गेहूं और चना की खेती भी करते हैं।
नाना पाटेकर के इस फॉर्महाउस में 7 कमरों के अलावा एक बड़ा सा हॉल भी है। इसमें नाना की रुचियों के मुताबिक, सिंपल वुडन फर्नीचर और टेराकोटा फ्लोर है। नाना के इस फॉर्महाउस की कीमत करीब 12 करोड़ रुपए है। नाना ने घर के हर एक कमरे को अपनी बेसिक स्टाइल और जरूरत के मुताबिक डिजाइन किया है। इसके अलावा घर के आसपास कई तरह के पौधे भी लगाए गए हैं। फार्महाउस में बड़ी संख्या में दुधारू गाय-भैंसे भी पाली हुई हैं। नाना की शादी नीलाकांती पाटेकर से हुई, लेकिन बाद में उनका तलाक हो गया। उनका एक लड़का भी है, जिसका नाम मल्हार है।
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सगे संबंधी ने हड़पी प्रॉपटी
मीडिया से बातचीत के दौरान नाना पाटेकर ने अपनी जिंदगी (Nana Patekar Life) के बारे में बात करते हुए बताया था कि उनके पिता का टेक्सटाइल पेंटिंग का व्यापर था। लेकिन एक बार परिवार के एक रिश्तेदार ने जालसजी कर उनकी पूरी प्रॉपटी को आने नाम कर ली थी। इस बात से नाना के पिता को काफी सदमा लगा था। उनका पूरा परिवार खाने तक का मोहताज हो गया था। ऐसे में नाना ने अपने पिता की मदद करने का निर्णय लिया।
सड़कों पर किया पेंट का काम
एक समय ऐसा आया, जब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी। ऐसे में नाना ने अपने मजबूत होसलो से कुछ काम करने का मन बना लिया।
उस समय नाना की उम्र केवल 13 साल की थी। अपने पिता की सहायता करने के लिए उन्होंने पेंटिंग का काम करना स्टार्ट किया। उन्होंने फिल्मों के पोस्टर और सड़कों की जेब्रा क्रासिंग को पेंट किया करते थे। इस काम के लिए उन्हें 35 रुपए महीना मिला करते थे, जिससे उनका परिवार का खर्च चलता था। लेकिन दुख अभी खत्म नहीं हुए थे।
नाना जब 28 साल के थे, तो उनके पिता का देहांत हो गया। हालांकि इससे नाना ने खुद को संभाला और आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एड एजेंसी में काम करना शुरू किया। जिसके बाद उनकी बातचीत स्मिता पाटिल से हुई। स्मिता ने उन्हें रवि चोपड़ा से मिलवाया। इसके बाद नाना को आज की आवाज फिल्म में काम करने का सुनहरा अवसर मिला।
कैसे शुरू हुआ फिल्मी सफर
नाना के करियर की शुरूआत फिल्म ‘गमन’ से हुई थी, लेकिन इंडस्ट्री में उन्हें फिल्म ‘परिंदा’ से जाना गया जिसमें उन्होंने खलनायक की भूमिका में रोल किया था। इस फिल्म में उनके अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया। इसके बाद उन्होंने कई अच्छी फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। क्रांतिवीर, खामोशी, यशवंत, अब तक छप्पन, अपहरण, वेलकम, राजनीति उनकी प्रमुख फिल्मों में से एक हैं।