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एक शिक्षक की कहानी: जिस स्कूल को हर किसी ने फ़ैल समझ बंद करना चाहा, उसी से निकले एक के बाद एक IAS ऑफिसर-banner
Kanika Sharma Author photo BY: KANIKA SHARMA 355 | 0 | 2 years ago

एक शिक्षक की कहानी: जिस स्कूल को हर किसी ने फ़ैल समझ बंद करना चाहा, उसी से निकले एक के बाद एक IAS ऑफिसर

एक ऐसा शिक्षक जिसके एक फैसले ने बंद हो रही स्कूल की कायापलट हो गई और फिर निकलने लगे एक के बाद एक IAS ऑफिसर। ऐसे शिक्षक सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

एक शिक्षक की मेहनत ने केरल के उस स्कूल को पूरी तरह से बदल कर रख दिया जिसे हर कोई फेल मानकर बंद करने की तैयारी कर रहा था फिर हालात ऐसे बदल गए कि एक के बाद एक आईएएस अफसर इस स्कूल से निकले।

यह कहानी पझायनूर शहर की है। पझायनूर शहर केरल के त्रिशूर जिले में स्थित है। शहर में सरकारी हायर सीनियर सेकेंडरी स्कूल बंद होने की कगार पर था। स्कूल का पासिंग रेश्यो इतना खराब था कि ज्यादातर बच्चे स्कूल छोड़कर सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में जा रहे थे। सभी सहमत थे कि यह स्कूल कुछ दिनों में बंद हो जाएगा, लेकिन एक शिक्षक था जिसने इस स्कूल को सूची में सबसे सफल स्कूलों में से एक बना दिया। यह कहानी एक ऐसे शिक्षक की सोच और साहस की है, जिसने बुरे हालात के सामने एक मिनट के लिए भी हार नहीं मानी।

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Image Source: google search

इस स्कूल में वी. राधाकृष्णन की नियुक्ति बी.एड करने के कुछ दिनों बाद ही हुई थी। यह उनका पहला काम था। पहली ही नौकरी में स्कूल बंद करना किसी भी शिक्षक की प्रेरणा को नष्ट कर सकता है, लेकिन राधाकृष्णन दृढ़ थे। वी. राधाकृष्णन ने ठान लिया था कि वे इस स्कूल को किसी भी कीमत पर बंद नहीं होने देंगे। उसने बाकी शिक्षकों के साथ योजना बनाई और स्कूल के बाद भी बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दिया। इनमें से अधिकांश बच्चे किसान परिवार के थे, उन्होंने देखा कि उनके परिवार के सदस्य बिना शिक्षा के पैसा कमाते हैं, इसलिए उनका शिक्षा के प्रति कोई विशेष झुकाव नहीं था।

राधाकृष्णन ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने लगे, उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह इन बच्चों के माता-पिता की काउंसलिंग भी करने गए थे। और जल्द ही जिस स्कूल का पासिंग प्रतिशत मात्र 20% था, वह 80% तक पहुंच गया। लगभग बंद हो चुके स्कूल को पुनर्जीवित करने का कार्य एकमात्र शिक्षक की कड़ी मेहनत का परिणाम था। उनके काम की आज भी कई पूर्व छात्रों द्वारा प्रशंसा की जाती है।

राधाकृष्णन ने स्कूल पुस्तकालय की जिम्मेदारी भी संभाली और कोशिश की कि हर बच्चा एक किताब पढ़े। राधाकृष्णन स्वयं उस समय पीसीएस की तैयारी कर रहे थे और उन्हें पढ़ाई का महत्व अच्छे से पता था। पढ़ाने के तरीके को चुनौती देते हुए उन्होंने बच्चों को नए तरीके से पढ़ाना प्रारंभ किया। वह बच्चों के लिए प्रश्नोत्तरी बनाते थे और उसके आधार पर प्रश्न पूछते थे। उनकी तकनीक इतनी लोकप्रिय हो गई कि उन्हें पास के रेडियो चैनलों से भी प्रश्नोत्तरी के लिए निमंत्रण मिलने लगे।

इस स्कूल को अपने जीवन के 11 साल देने के बाद भी राधाकृष्णन छात्रों से संपर्क में रहे और उनका हौसला बढ़ाते रहे। उन छात्रों में से कई छात्र आज आईएएस बन गए और अपनी सफलता का श्रेय राधाकृष्णन को देते हैं। ऐसे शिक्षक सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

Tags IAS school education radhakrishnan teacher officer
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