दादा की पुश्तैनी झोपड़ी को एक शख्स ने हाइड्रो क्रेन की सहायता से शिफ्ट कराया, एक झोपड़ी को बनाने में 50 से 70 लोग...
आर्थिक तंगी और बहुत ही कम संसाधनों में भी अपनी हिम्मत बंधे रखी और उन्होंने अपने मज़दूर पिता की मदत करने के लिए कुछ समय ठेले पर चाय भी बेचीं